गर्म है हुस्न का बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे आम है शर्बत-ए-दीदार ख़ुदा ख़ैर करे देखिए गर्मी-ए-गुफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे हो न जाए कहीं तकरार ख़ुदा ख़ैर करे अब कहाँ जाएँ तिरे चाहने वाले आख़िर चर्ख़ है दरपए-आज़ार ख़ुदा ख़ैर करे कल जो दम भरते थे ऐ दोस्त मोहब्बत का मिरी उन के होंटों पे है इंकार ख़ुदा ख़ैर करे मुझ से बरगश्ता मुक़द्दर ही नज़र आता है बिगड़े बिगड़े से हैं सरकार ख़ुदा ख़ैर करे चल के पूछें तो ज़रा बाज़ू-ए-क़ातिल का हाल ले के वो निकले हैं तलवार ख़ुदा ख़ैर करे हाए ऐ जोश-ए-जुनूँ अब तो ये हालत है मिरी देख कर कहते हैं अग़्यार ख़ुदा ख़ैर करे चौंक उट्ठें न कहीं क़ब्र के सोने वाले आप की शोख़ी-ए-रफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे ग़ैर के जौर-ओ-सितम का करूँ किस से शिकवा अपनों के बदले जब अतवार ख़ुदा ख़ैर करे ख़ार ही ख़ार नज़र आते हैं गुलशन में 'शफ़ीअ'' सूना सूना सा है गुलज़ार ख़ुदा ख़ैर करे