ब-ज़ात-ए-ख़ुद अब तू न तकलीफ़ फ़रमा तसव्वुर ही रहने दे तशरीफ़-फ़रमा मिरी हस्ती-ए-आरिफ़ाना से मतलब तू अपने तजाहुल की तारीफ़ फ़रमा अगर शिद्दत-ए-दर्द-ए-दिल देखनी है तवज्जोह में कुछ और तख़फ़ीफ़ फ़रमा अबस महफ़िल-ए-नाज़ तरतीब दी है किसी क़ल्ब-ए-मुज़्तर की तालीफ़ फ़रमा सहीफ़ा मोहब्बत का कहते हैं दिल को निगाह-ए-ग़ज़ब से न तहरीफ़ फ़रमा पुराना हुआ दाग़-ए-जुर्म-ए-मोहब्बत कोई ताज़ा इल्ज़ाम तस्नीफ़ फ़रमा तिरे मुँह से अहवाल-ए-'हैदर' की तकज़ीब वो दरवेश है उस की तारीफ़ फ़रमा