ग़ुबार उड़ता हुआ दिल के ख़ाक-दान में है किसी की याद का मलबा पड़ा मकान में है मजाल कब है समुंदर की रास्ता रोके हमारे अज़्म का तूफ़ान बादबान में है कहो न ढूँडें ख़िरद वाले आशियाने में मिरे जुनूँ का परिंदा अभी उड़ान में है नहीं पिघलते अगर संग तेरी बातों से कोई तो नक़्स यक़ीनन तिरी ज़बान में है बहा के ले गया सैलाब फ़स्ल ख़्वाबों की किसान बैठा हुआ नींद के मचान में है भटक रहा है कहाँ धूप के जज़ीरे में तिरी जगह मिरी पलकों के साएबान में है सभी जवाब मिरे बन गए सवाल 'अशहर' ये ज़िंदगी भी मिरी कैसे इम्तिहान में है