ग़ुंचा चटका न कोई फूल खिला मेरे बाद मैं चला तो न चली बाद-ए-सबा मेरे बाद ज़ुल्म के हाथों मिरे शहर से आने वालो और किस किस का वहाँ ख़ून हुआ मेरे बाद हौसला चाहिए गुलशन की निगहबानी का जाँ-नशीं कौन मिरा होगा भला मेरे बाद ये मिरा ख़ून-ए-जिगर है ये मिरा ख़ून-ए-जिगर हुस्न हो जाए न मुहताज-ए-हिना मेरे बाद दुश्मनी थी तो फ़क़त मेरे नशेमन से थी फिर न आया कभी तूफ़ान-ए-बला मेरे बाद कोई कहता है ये चुपके से जगा कर मुझ को किस ने दुनिया में किया सज्दा अदा मेरे बाद कैसे कैसे ज़रा मैं भी तो सुनूँ हाँ कहिए आप को कौन वफ़ादार मिला मेरे बाद राह दुश्वार तो मंज़िल है बहुत दूर अभी काश मिल जाए कोई राह-नुमा मेरे बाद मुस्कुराती जो कली ख़ार महकते 'मुख़्तार' बाग़बाँ ऐसा चमन में न हुआ मेरे बाद