ग़म-ए-दिल की दवा कोई नहीं है हमें उन से गिला कोई नहीं है वफ़ा के रास्तों में खो गया दिल कहाँ ढूँडूँ पता कोई नहीं है झुका दूँगा मैं सर क़दमों पे जिस के वो तुम हो दूसरा कोई नहीं है बहुत देखे हैं दिल वालों के जमघट यहाँ अहल-ए-वफ़ा कोई नहीं है बिना तेरे जिए जाता हूँ लेकिन बिना तेरे मज़ा कोई नहीं है पशेमाँ हूँ मैं अपनी आशिक़ी पर नहीं तुम से गिला कोई नहीं है ज़बाँ हरगिज़ न कह पाएगी 'आलम' हमें अब चाहता कोई नहीं है