ग़म ख़ुशी हसरत हवस उम्मीद-ओ-यास ज़िंदगी हंगामा-ए-जज़्बात है कोई दिल को अपने किस किस से बचाए हर अदा उस शोख़ की इक घात है तर्क-ए-उल्फ़त और हम आशुफ़्ता-सर शैख़ साहब वाह-वा क्या बात है बढ़ गया कुछ और भी जोश-ए-जुनूँ चाँदनी है या तुम्हारी घात है हुस्न की हर बात इक अफ़्साना है इश्क़ का अफ़्साना भी इक बात है फिर भड़क उट्ठी हमारे दिल की आग फिर वही हम हैं वही बरसात है आप की हर बात में है एक बात ऐ 'सआदत' अप की क्या बात है