ग़म उस पर आश्कार किया हम ने क्या किया ग़ाफ़िल को होश्यार किया हम ने क्या किया हाँ हाँ तड़प-तड़प के गुज़ारी तुम्हीं ने रात तुम ने ही इंतिज़ार किया हम ने क्या किया इतरा रहा है नक़्द-ए-मोहब्बत पे दिल बहुत अच्छे को माल-दार किया हम ने क्या किया कहते हैं वो शिकायत-ए-बेदाद-ओ-जौर पर तुझ को ख़ुदा ने ख़्वार किया हम ने क्या किया नासेह भी है रक़ीब ये मा'लूम ही न था किस को सलाह-कार किया हम ने क्या किया रुस्वा किया जो दिल ने तो अब कह रहे हैं 'दाग़' दुश्मन को राज़दार किया हम ने क्या किया