ग़म उठाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ ज़ख़्म खाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ भूल पाऊँ तुझे तो मर जाऊँ भूल जाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ मेरे अहबाब हैं ख़फ़ा मुझ से बस मनाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ कोई तो मुझ को भी मना ले कभी रूठ जाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ वो जो मेरा कभी नहीं होगा उस को पाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ मुझ को सब ने भुला दिया या'नी याद आने की ज़िद में ज़िंदा हूँ जीत जैसे मिरा मुक़द्दर हो हार जाने की ज़िद में ज़िंदा हूँ