घर से निकले थे आरज़ू कर के आज दिल लाएँ गे रफ़ू कर के सारे ख़ाने महक उठे दिल के तुझ को पाने की जुस्तुजू कर के तुझ को माँगा तमाम शब हम ने इश्क़ से जान-आे-तन वुज़ू कर के आज इक बार ख़ुद को फिर देखो मेरा एहसास चार सू कर के ज़ख़्म दिखते नहीं मगर उस ने रख दिया दिल लहू लहू कर के