ग़ासिबों और तख़्त वालों के ख़ुदा का सिलसिला चल पड़ा बार-ए-दिगर कर्ब-ओ-बला का सिलसिला टूट जाता है कभी दिल तो कहीं रिश्ता कोई ज़हर-ए-क़ातिल है मोहब्बत में अना का सिलसिला अब तलक जारी है लाशों पर सियासत मुल्क में देखिए रुकता है कब आह-ओ-बुका का सिलसिला दम से ऐ अब्बास तेरे आदमी है बा-वक़ार चल रहा है तेरे सदक़े से वफ़ा का सिलसिला आस्तीं के सब ही साँपों को निगल जाए 'सुहैब' फिर रवा हो इस ज़माने में असा का सिलसिला