गिला है न अब है शिकायत किसी की मज़ा दे गई वो नदामत किसी की खपी जाती है फिर भी आँखों में क्या क्या यूहीं सी है गुल में शबाहत किसी की क़यामत है किस तरह बर्दाश्त होगी मोहब्बत के बदले मोहब्बत किसी की अज़ल इब्तिदा है अबद इंतिहा है न पूछो असीरी की मुद्दत किसी की नहीं और कुछ ख़ुल्द-ओ-दोज़ख़ का मंशा वो दूरी किसी की ये क़ुर्बत किसी की निगाहों में है ज़हर होंटों में अमृत हयात-ओ-अजल हैं करामत किसी की ग़म-ओ-रंज-ओ-हिरमान-ओ-दर्द-ए-जुदाई मिला हम को क्या क्या बदौलत किसी की कलेजे से क्यूँकर लगाए न रक्खूँ फ़िशानी है दाग़-ए-मोहब्बत किसी की अदाओं ने मारा हुआ नाम अजल का है तोहमत किसी पर शरारत किसी की हर इक बार मन मन के वो रूठते हैं बिगड़ती है बन बन के क़िस्मत किसी की शिकस्त-ए-ख़ुदी का सुहाना वो नग़्मा वो उज़्र-ए-तग़ाफुल में लुक्नत किसी की जुदाई को मुद्दत हुई फिर भी अब तक निगाहों में फिरती है सूरत किसी की