गिला सितम का न शिकवा है बेवफ़ाई का जिगर में दाग़ निहाँ है तिरी जुदाई का सितम-शिआ'र सताना किसी का ख़ूब नहीं बहुत ख़राब सर-अंजाम है बुराई का तड़प तड़प के हुआ गोशा-ए-क़फ़स में तमाम दिल-ए-असीर में अरमाँ रहा रिहाई का सुख़न में अपने ख़ुदा-दाद है ये हुस्न-ए-बुताँ कि ख़ार मुर्ग़-ए-चमन को है ख़ुश-नवाई का हवस है किस को यहाँ तख़्त-ओ-ताज की 'रौशन' ख़ुदा ने हम को दिया है शरफ़ गदाई का