गिरने दे गिर गई अगर दस्तार By Ghazal << कितने महान लोग जहाँ से गु... न इशरत की तमन्ना है न महफ... >> गिरने दे गिर गई अगर दस्तार दोनों हाथों से थाम दस्त-ए-यार जल्द आओ तो मुंतज़िर हैं हम हो गई देर तो दर-ओ-दीवार आ गए आप क्या अयादत को कितने ख़ुश-बख़्त हो गए बीमार बाल-ओ-पर का उक़ाब क्या करते कट गए जबकि नाख़ुन-ओ-मिंक़ार Share on: