कितने महान लोग जहाँ से गुज़र गए क्या चीज़ हैं हम आप कि जब वो भी मर गए इक गर्द उठी वबा की छटी तो नज़र पड़ी हाए वो अक़रबा वो अहिब्बा किधर गए ग़ैरों को क्या ख़बर मज़े अपनों से वस्ल के तुम जानो मौत इस को मियाँ हम तो घर गए आख़िर खुला पड़ा जो बुतों से मोआमला हम जी ही जी में ख़ुश थे कि लो हम सँवर गए वाइज़ था ख़ुश कि कान खड़े वा'ज़ से हुए घर से चले थे ख़र जो गए भी तो ख़र गए नज़रें नहीं बचाएँ तो बुत-हा-ए-मरमरीं आँखों की राह से कहीं दिल में उतर गए इक बा-ख़ुदा की ख़ुश-नज़री काम कर गई आए थे मिलने 'शाह' लगा के नज़र गए