गिरते हुए बदन का नगर छोड़ जाऊँगा घबरा के दस्तकों से ये घर छोड़ जाऊँगा मैं ऐन ज़िंदगी हूँ ठहरना नहीं मुझे सब मंज़रों को मिस्ल-ए-नज़र छोड़ जाऊँगा ख़ुद ख़ाक हो के गर्द-ए-सफ़र में रहूँगा और उन बस्तियों में ज़ौक़-ए-सफ़र छोड़ जाऊँगा होगा न सोगवार मिरे वास्ते कोई जलता हुआ दिया हूँ सहर छोड़ जाऊँगा हस्ती मिरी अदम ही सही सूरत-ए-'सहाब' मैं सीपियों में आब-ए-गुहर छोड़ जाऊँगा