गो नज़र अक्सर वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल आ जाएगा राह में लेकिन सराब-ए-माह-ओ-साल आ जाएगा या शिकन-आलूद हो जाएगी मंज़र की जबीं या हमारी आँख के शीशे में बाल आ जाएगा रेत पर सूरत-गरी करती है क्या बाद-ए-जुनूब कोई दम में मौजा-ए-बाद-ए-शिमाल आ जाएगा दोस्तो मेरी तबीअत का भरोसा कुछ नहीं हँसते हँसते आँख में रंग-ए-मलाल आ जाएगा जाने किस दिन हाथ से रख दूँगा दुनिया की ज़माम जाने किस दिन तर्क-ए-दुनिया का ख़याल आ जाएगा हादसा ये है कि सारी ज़िल्लतों के बावजूद रफ़्ता रफ़्ता ज़ख़्म सू-ए-इंदिमाल आ जाएगा