गिरते शीश-महल देखोगे By Ghazal << मैं ने इरादा जब भी किया ह... ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार य... >> गिरते शीश-महल देखोगे आज नहीं तो कल देखोगे इस दुनिया में नया तमाशा हर साअत हर पल देखोगे किस किस तुर्बत पर रोओगे किस किस का मक़्तल देखोगे देर है पहली बूँद की सारी फिर हर-सू जल-थल देखोगे हर हर ज़ख़्म-ए-शजर से 'ख़ावर' फूटती इक कोंपल देखोगे Share on: