गीत के बाद भी गाए जाऊँ अपनी आवाज़ सुनाए जाऊँ कोई ऐसा हो कि देखे जाए मैं जहाँ तक नज़र आए जाऊँ इस हवस में कि अंधेरा न रहे घर में जो कुछ है जलाए जाऊँ फैलती जाए ख़मोशी मुझ में और मैं शोर मचाए जाऊँ अपनी आँखों को शब ओ रोज़ 'फ़रोग़' ख़्वाब ही ख़्वाब दिखाए जाऊँ