गो मिरा साथ मिरी अपनी नज़र ने न दिया दश्त-ए-तन्हाई में ऐ दिल तुझे डरने न दिया ज़िंदगी कितना तिरी बात का है पास हमें तू ने जो ज़ख़्म दिया हम ने वो भरने न दिया एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया आप जिस रह-गुज़र-ए-दिल से कभी गुज़रे थे उस पे ता-उम्र किसी को भी गुज़रने न दिया हम तो हर हाल सँवारा किए हालात 'आज़ाद' हम को हालात ने हर-चंद सँवरने न दिया