गोशा-नशीं हैं अंजुमन-आरा नहीं हैं हम

गोशा-नशीं हैं अंजुमन-आरा नहीं हैं हम
लेकिन ये मो'जिज़ा है कि तन्हा नहीं हैं हम

जब से मिली है दौलत-ए-इरफ़ान-ओ-आगही
दुनिया में रह के शामिल-ए-दुनिया नहीं हैं हम

मुश्किल नहीं है दोस्तो तस्ख़ीर-ए-काएनात
अफ़्सोस बस इसी का है यकजा नहीं हैं हम

फ़र्दा का ख़्वाब वक़्त की आवाज़ हैं जनाब
इक यादगार-ए-अह्द-ए-गुज़िश्ता नहीं हैं हम

हासिल है हम को लज़्ज़त-ए-तौबा ख़ता के बाद
बेहतर है आदमी हैं फ़रिश्ता नहीं हैं हम

शादाब है हमीं से तिरा गुलशन-ए-वजूद
दरिया हैं जान-ए-आरज़ू सहरा नहीं हैं हम


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