गोया चमन चमन न था ऐसा उजाड़ बन न था ख़ूँ से तर रविश रविश रंग-ए-गुल-ओ-समन न था ख़ार-ए-अलम से तार तार कौन सा पैरहन न था सिक्का-ए-दिल ख़राब-हाल उस का कहीं चलन न था आज अगर गुज़र गया कल का कोई जतन न था बज़्म-ए-अदब भी दम-ब-ख़ुद कहने को कुछ सुख़न न था नस्र तमाम तर फ़ुज़ूल शेर असर-ए-फ़गन न था