गुज़र के इश्क़ की हद से भी कुछ ये आलम है कि जैसे इश्क़ अभी उन के हुस्न से कम है अदू का घर है तिरी राह में तो क्या ग़म है सुना है ख़ुल्द के रस्ते में भी जहन्नम है ये वक़्त कल न रहेगा रहेंगे याद ये दिन सितम की उम्र ज़ियादा है ज़िंदगी कम है वो अपने ज़ुल्म से ख़ुद भी न रह सके महफ़ूज़ जबीं पर आज न बल है न ज़ुल्फ़ में ख़म है इबादतों के लिए फ़ुर्सतें हैं लोगों को हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है