गुलों की पालकी में है बहारों की वो बेटी है चहेती चाँद की रौशन सितारों की वो बेटी है हमारी इज़्ज़तें साँझी हैं बोली कोई भी बोलें किसी भी एक की इफ़्फ़त सो चारों की वो बेटी है वो चलती है तो राहों में सुरीले साज़ बजते हैं किसी उजली नदी के शोख़ धारों की वो बेटी है किया है बे-रिदा जिस ने मिरे दहक़ाँ की बेटी को वतन के नाम-लेवा ग़मगुसारों की वो बेटी है बड़ी मुद्दत तलक जिस बहन को हम ने अदू समझा सितम सहती रही है कोहसारों की वो बेटी है सुरीली बाँसुरी की तान उस की गुफ़्तुगू ठहरी तराशीदा परी-रुख़ शाहकारों की वो बेटी है हमारी ज़िंदगी बे-कैफ़ गुज़री है 'रशीद' हसरत नहीं जिस में कोई सुख रेगज़ारों की वो बेटी है