गुमान के लिए नहीं यक़ीन के लिए नहीं अजीब रिज़्क़-ए-ख़्वाब है ज़मीन के लिए नहीं ख़याल जो क़दम-कुशा है तेरे ला-शुऊर में ग़ज़ाल है मगर सुबुकतगीन के लिए नहीं हवाएँ गोश-बर-सदा हैं किस के बाब में ख़मोश नहीं दिए की आया-ए-मुबीन के लिए नहीं उसे छुपाओ कुश्तगाँ के दिल में राज़ की तरह ये तेग़-ए-आबदार आस्तीन के लिए नहीं मैं एक बूढ़े फ़लसफ़ी के ख़्वाब का अमीन हूँ मिरे लबों की साख़्त अंगबीन के लिए नहीं कमंद को कमान को अभी से तह न कीजिए कि ये शिकार के लिए हैं ज़ीन के लिए नहीं जो तीर उड़ चला है वो मिरे लिए है 'शहरयार' यसार के लिए नहीं यमीन के लिए नहीं