इक यही रौशनी रौशनी इम्कान में है तू अभी तक दिल-ए-वीरान में है शोर बरपा है तिरी यादों का रौनक़-ए-हिज्र बयाबान में है प्यार और ज़िंदगी से लगता है कोई ज़िंदा-दिली बे-जान में है आज भी तेरे बदन की ख़ुश्बू तेरे भेजे हुए गुल-दान में है ज़िंदगी भी है मिरी आँखों में मौत भी दीदा-ए-हैरान में है दिल अभी निकला नहीं सीने से एक क़ैदी अभी ज़िंदान में है