हाँ मिरा हाल है बर्बाद मगर मैं तो नहीं तुझ को करता है कोई याद मगर मैं तो नहीं बारहा ख़ालिक़-ए-कौनैन तिरी ख़िदमत में पहुँची होगी मिरी फ़रियाद मगर मैं तो नहीं अहद-ए-हाज़िर में लगे मिस्र के बाज़ारों में बिक गई है मिरी रूदाद मगर मैं तो नहीं काश हस्ती भी मिरी दाद के क़ाबिल होती शे'र लेते हैं मिरे दाद मगर मैं तो नहीं मोहतरम लोग मुझे फ़न के सबब जानते हैं मोहतरम हैं मिरे उस्ताद मगर मैं तो नहीं दस्त-ए-हैदर से ग़ुलामी की सनद जिन को मिली होंगे वो हज़रत-मिक़दाद, मगर मैं तो नहीं साल के साथ बदलना नहीं आता 'काज़िम' हाँ बदल जाते हैं आदाद मगर मैं तो नहीं