हादसे गश्त में रहते हैं क़ज़ा की सूरत कितनी महदूद है दुनिया में बक़ा की सूरत क़िस्सा-ए-सब्र-ओ-रज़ा उस को सुनाओ जा कर जिस ने देखी न हो अरबाब-ए-वफ़ा की सूरत ज़ख़्म भर जाएँगे पल भर में यक़ीं है मुझ को वो जो आ जाएँ ज़रा देर दवा की सूरत आ के बैठे भी नहीं ठीक से और चल भी दिए जब भी आते हो तो आए हो हवा की सूरत तू जो बोले तो उतर जाए मुजस्सम दिल में किसी तासीर से भरपूर दुआ की सूरत लज़्ज़त-ए-दीद से महरूम हूँ महरूम सही वो ख़यालों में है मौजूद ख़ुदा की सूरत हादिसा फिर तो नहीं कोई फ़लक-साज़ हुआ उतरी उतरी सी है क्यों आज ज़िया की सूरत