है दिल ही फ़क़त जिगर नहीं है शमशीर तो है सिपर नहीं है ख़ाली है सदफ़ गुहर नहीं है है आँख मगर नज़र नहीं है सर सर है तिरा बग़ैर सौदा सौदा जो मिला तो सर नहीं है आहें नहीं तेरे दिल की आहें जब इन में कोई असर नहीं है बे-दाना उगे तो ख़ाक से कुछ दाने में अगर शजर नहीं है जीने को तो ख़्वाहिशें हैं लाखों मरने को जिगर मगर नहीं है वो यास की है 'अमीं' शब-ए-तार जिस शब की कोई सहर नहीं है