है दिल में जुनूँ-ख़ेज़ परस्तिश का इरादा ऐसे में मुनासिब नहीं रंजिश का इरादा जलने को है तय्यार मता-ए-दिल-ओ-जाँ फिर अफ़्सोस मगर सर्द है आतिश का इरादा मिट्टी का घरौंदा बड़ी मुश्किल से बना है ऐ काश बदल दे कोई बारिश का इरादा यूँ खुल के सर-ए-आम न मिल मुझ से मिरे दोस्त दुनिया में है ज़िंदा अभी साज़िश का इरादा कश्कोल मोहब्बत की तलब फिर भड़क उट्ठी देखा जो ब-ज़िद उस में नवाज़िश का इरादा उस ने बड़ा मोहतात रवय्या रखा फिर भी लहजे से झलकता रहा ख़्वाहिश का इरादा उस दिल का इलाक़ा सही मेरे लिए ममनूअ' बदला न ब-हर-हाल रिहाइश का इरादा है म'अरका-आरा जो 'ख़याल' आज ब-ज़ाहिर रखता है पस-ए-तैश गुज़ारिश का इरादा