है हमन का शाम कोई ले जा By Ghazal << हमारे साँवले कूँ देख कर ज... गुनाहगारों की उज़्र-ख़्वा... >> है हमन का शाम कोई ले जा कि मुझे आ के टुक दर्स दे जा बुल-हवस कूँ हुआ है तब सीं मग़्ज़ जब सीं तुम ने उसे बुला भेजा तुम सिवा हम कूँ और जागह नहीं ऐ सजन हम सीं मत लड़ो बेजा 'आबरू' चाहता है तू मत उड़ बुल-हवस उस गली सीं सन बेजा Share on: