है इंतिज़ार मुक़द्दर तो इंतिज़ार करो पर अपने दिल की फ़ज़ा को भी ख़ुश-गवार करो तुम्हारे पीछे लगी हैं उदासियाँ कब से किसी पड़ाव पर रुक कर इन्हें शिकार करो हमारे ख़्वाबों का दर खटखटाती रहती हैं तुम अपनी यादों को समझाओ होशियार करो भली लगेगी यही ज़िंदगी अगर उस में ख़याल-ओ-ख़्वाब की दुनिया को भी शुमार करो भरोसा बा'द में कर लेना सारी दुनिया पर तुम अपने आप पर तो पहले ए'तिबार करो