है कुशादा ज़मीं निकल जाएँ ख़ुद को ढूँडें कहीं निकल जाएँ या तो सीने से दिल निकल जाए या तो दिल से हसीं निकल जाएँ इक गुज़ारिश है मेहरबानों से छोड़ दें आस्तीं निकल जाएँ हाँ दिवानों के आस्ताने से सब ज़हीन-ओ-फ़तीँ निकल जाएँ या तो दिल धो के आएँ का'बे में या तो सब ज़ाएरीं निकल जाएँ हम मिरी जान आप के दिल से इतना आसाँ नहीं निकल जाएँ बूढ़े वालिद से नौजवाँ बेटा कह रहा था कहीं निकल जाएँ तेरी आँखों के 'फ़ैज़' मोती हैं हम कि आँसू नहीं निकल जाएँ