हैं बशर में सिफ़ात मुट्ठी भर पर नहीं ख़्वाहिशात मुट्ठी भर मेरी आँखों में ख़्वाब ला-महदूद मेरे हिस्से में रात मुट्ठी भर आसमाँ से वसीअ' मंसूबे आदमी की हयात मुट्ठी भर दुनयवी इल्म जानते हैं सब माहिर-ए-दीनियात मुट्ठी भर ज़ीस्त में हैं मसर्रतें लाखों और हैं हादसात मुट्ठी भर मसअले आए हर घड़ी दरपेश हल हुईं मुश्किलात मुट्ठी भर वा'दा इमदाद का करेंगे सब वक़्त पर देंगे साथ मुट्ठी भर हम से ये भी अदा नहीं होते फ़र्ज़ और वाजिबात मुट्ठी भर प्यार इख़्लास आजिज़ी 'अंजुम' हैं तिरे ज़ेवरात मुट्ठी भर