हज़ीं दिल का विज्दान भी ले लो करो इश्क़ इरफ़ान भी ले लो ग़ज़ल कह रहा हूँ ग़ज़ल पर मैं सुनो मेरे अरमान भी ले लो पुकारो मुझे नाम से मेरे मिरा आज हैजान भी ले लो उठा कर ज़रा नावक-ए-मिज़्गाँ मिरी जाँ मिरी जान भी ले लो सरायत करो मेरी हस्ती में यूँ तुम मेरी पहचान भी ले लो वजूद-ए-वफ़ा का तक़ाज़ा है मोहब्बत में पैमान भी ले लो मिरी रूह प्यासी है सदियों से मिरे जिस्म का मान भी ले लो अगर कुफ़्र का डर न होता तो मैं कह देता ईमान भी ले लो सदा है ये वहशत की ऐ 'अज़फ़र' शब-ए-ग़म का इलहान भी ले लो