हक़ नहीं मुझ को शादमानी का शुक्रिया ग़म की मेहरबानी का आप के और हमारे आँसू में फ़र्क़ है आग और पानी का है मोहब्बत का नाम उम्र-ए-अबद ज़िक्र ही क्या हयात-ए-फ़ानी का ख़ुद मिरे दिल ने मेरी आँखों को फ़र्ज़ सौंपा है ख़ूँ-फ़िशानी का अहल-ए-दिल की कहानियाँ तौबा एक उनवाँ है हर कहानी का क्यों न सरगोशियाँ हों महफ़िल में फ़ैज़ है मेरी बे-ज़बानी का तेरे ग़म से सिवा ये ग़म है हमें जाने क्या हो तिरी निशानी का शेर रूदाद-ए-दिल है नाम नहीं सिर्फ़ अल्फ़ाज़ की रवानी का कारवाँ के ग़ुबार में 'अशरफ़' छुप गया रंग ज़िंदगानी का