दिल की रूदाद दिल-लगी न सही सुन तो लीजे कभी अभी न सही देख कर मुझ को फेर लीं नज़रें इन के चेहरे पे बरहमी न सही उन का जल्वा तो हर मक़ाम पे है आम फ़ैज़ान-ए-दीद ही न सही मेरे ईक़ान में कमी क्यों है आप के लुत्फ़ में कमी न सही जब्र-ए-हस्ती है ना-गुज़ीर 'अशरफ़' ज़िंदगी आज ज़िंदगी न सही