हक़ीक़तों का सभी को पता नहीं होता कोई किसी से बिछड़ के जुदा नहीं होता तअ'ल्लुक़ात निभाना नहीं बहुत मुश्किल हर आदमी में मगर हौसला नहीं होता शराब-ख़ाने का हर शख़्स है बुरा लेकिन शराब-ख़ाने में कोई बुरा नहीं होता मिरी तरफ़ से शिकायत का इंतिज़ार न कर मुझे किसी से भी कोई गिला नहीं होता खुला ये राज़ कई बार मिल के 'शाहिद' से बुरा जो है वो हमेशा बुरा नहीं होता