हक़ीक़तों से कभी इंहिराफ़ मत कीजे क़ुसूर जिस का हो उस को मुआ'फ़ मत कीजे किसी बुज़ुर्ग के चेहरे पे कुछ नहीं लिक्खा अदब तो कीजिए उस का तवाफ़ मत कीजे ख़ता हो आप की तो कीजिए इसे तस्लीम ख़ता न हो तो कभी ए'तिराफ़ मत कीजे मुआहिदा हो तअ'ल्लुक़ हो इंकिसारी हो कभी मिज़ाज के अपने ख़िलाफ़ मत कीजे वो घर का राज़ हो या दोस्तों की बातें हों किसी पे उन का कभी इंकिशाफ़ मत कीजे ग़ज़ल इशारों किनायों का नाम है 'गौहर' ग़ज़ल में बात कोई साफ़ साफ़ मत कीजे