हम अपने ज़ेहन पर पहले उसे तारी करेंगे फिर इस के बा'द अपने क़ल्ब को जारी करेंगे हम अपने ज़ाहिर ओ बातिन का अंदाज़ा लगा लें फिर उस के सामने जाने की तय्यारी करेंगे मोहब्बत हम से उस को हो गई तो ठीक वर्ना हम अपनी साख रखने को अदाकारी करेंगे अब ऐसी मुफ़्लिसी में क्या कहीं हो आना-जाना मगर कब तक हम उस से उज़्र-ए-बीमारी करेंगे मिरे किस काम के हैं अब ये कव्वे और कबूतर अबस बर्बाद घर की चार-दीवारी करेंगे बहुत अच्छा तिरी क़ुर्बत में गुज़रा आज का दिन बस अब घर जाएँगे और कल की तय्यारी करेंगे यहाँ अब लोग 'मोहसिन' ज़िंदगी करते कहाँ हैं ज़रा से दुख में रोएँगे अज़ा-दारी करेंगे