हम अपने को फ़ाश कर रहे हैं ऐ दहर By Ghazal << लम्हे शब-ए-विसाल के सर्फ़... माना कि ज़िंदगी में कुछ अ... >> हम अपने को फ़ाश कर रहे हैं ऐ दहर दिल नज़र ख़राश कर रहे हैं ऐ दहर कैसा ये जुनून है कि तेरे अंदर हम ख़ुद को तलाश कर रहे हैं ऐ दहर Share on: