हम बुज़ुर्गों की आन छोड़ आए ख़ानदानी मकान छोड़ आए उस क़बीले में सारे गूँगे थे हम जहाँ पर ज़बान छोड़ आए उस का दरवाज़ा बंद पाया तो दस्तकों के निशान छोड़ आए रोटी कपड़े मकान की ख़ातिर रोटी कपड़ा मकान छोड़ आए एक उस को तलाश करने में हम ज़मीं आसमान छोड़ आए अब सफ़र है यक़ीन की जानिब वसवसे और गुमान छोड़ आए