हम एहतियात की ऐसी मिसाल देते हैं तुम्हारा ज़िक्र भी आए तो टाल देते हैं दिखाते फिरते नहीं दिल के ज़ख़्म दुनिया को तमाम दर्द को शे'रों में ढाल देते हैं तुम्हें भुलाने की कोशिश में बे-सबब हम भी ख़ुद अपने आप को मुश्किल में डाल देते हैं हम इंतिख़ाब में ज़ियादा नहीं उलझते हैं अगर ग़रज़ पड़े सिक्का उछाल देते हैं हमें क़ुबूल नहीं छोटा मुँह बड़ी बातें मिसाल बनते हैं और फिर मिसाल देते हैं