हम इस तमीज़ के साथ उस के पास बैठते हैं कि जैसे शाह के क़दमों में दास बैठते हैं बस एक तू है जिसे दोस्त बोलता हूँ मैं वगर्ना साथ में ऐसे पचास बैठते हैं मैं इस लिए भी कभी खुल के हँस नहीं पाता उदास लोग मिरे आस-पास बैठते हैं बिठाते वक़्त मुझे दिल में ये कहा उस ने ये वो जगह हैं जहाँ लोग ख़ास बैठते हैं