हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए आप की ख़ुशी हुज़ूर बोलिए न बोलिए क्या हसीन ख़ार थे जो मिरी निगाह ने सादगी से बारहा रूह में चुभो लिए मौसम-ए-बहार है अम्बरीं ख़ुमार है किस का इंतिज़ार है गेसुओं को खोलिए ज़िंदगी का रास्ता काटना तो था 'अदम' जाग उठ तो चल दिए थक गए तो सो लिए