हम से पहले तो कहीं प्यार न था शहर-ब-शहर अपने हमराह ये सैलाब गया शहर-ब-शहर ऐसे बदनाम हुईं अपनी महकती ग़ज़लें जैसे आवारगी-ए-मौज-ए-सबा शहर-ब-शहर लोग क्या क्या न गए तोड़ के पैमान-ए-वफ़ा दिल की धड़कन ने मगर साथ दिया शहर-ब-शहर हम कि 'मासूम' हैं देहात के रहने वाले ढूँडते फिरते हैं क्या जानिए क्या शहर-ब-शहर