हम तग़ाफ़ुल को इब्तिदा समझे और वो दर्द की दवा समझे वो तो बेगानगी में थे गोया और हम उन को आश्ना समझे शोरिश-ए-दिल ने जो कहा हम से इस को हम हुक्म आप का समझे उन से क़ाएम हुआ है नक़्श-ए-वफ़ा कोई उन को न बेवफ़ा समझे आश्ना-ए-मुराद-ए-साहिल है वो जो तूफ़ाँ को नाख़ुदा समझे कल सर-ए-बज़्म इन इशारों से कहिए 'ख़ुर्शीद' आप क्या समझे