हम तिरा साया थे साया हो के फिर चले आए हैं तुझ को खो के दर्द की फ़स्ल हमें याद रही बीज हम भूल गए थे बो के आँख ने देखा मगर क्या देखा अक़्ल ने और भी खाए धोके एक तूफ़ान की आमद आमद एक आँसू कोई रोके रोके सब की आँखों में खटकते हैं तो हम कोई इतना नहीं उस को टोके तेरा आशिक़ था तो ले ये ताबूत आख़िरी कील भी तू ही ठोके देखो 'मुसहफ़' को जगाओ न अगर अभी सोए हैं बहुत रो रो के