हमारी प्यास अफ़्साना बनी है यही मौज़ूअ'-ए-मय-ख़ाना बनी है हमारे दिल की हालत कौन जाने हमारी वज़्अ शाहाना बनी है मोहब्बत ने भरे दिल में वो शो'ले ज़रा सी ख़ाक परवाना बनी है लुटा दी जिस पे दुनिया वो नज़र भी हमारे ग़म से बेगाना बनी है इसी दुनिया के इक गोशे में या-रब मिरी दुनिया जुदागाना बनी है खनकती गूँजती तन्हाइयों से हमारी शब परी-ख़ाना बनी है न पहचानोगे तुम ये दिल की बस्ती तुम्हारे बा'द वीराना बनी है मोहब्बत ने दिये हैं हम को आँसू यही दो बूँद नज़राना बनी है ख़ता क्या हो गई 'मसरूर' हम से कि हर हर साँस जुर्माना बनी है