हमारा क्या हमारे वास्ते सौ दर ठिकाने हैं किसी से दूर जाने के बहुत सारे बहाने हैं गुज़रते वक़्त के मानिंद तन्हा छोड़ने वाले चले जाओ मुझे भी अब तुम्हारे ख़त जलाने हैं हमारे बीच की दूरी कभी कम हो नहीं सकती तिरी ख़ुशियाँ हैं कल की और मेरे ग़म पुराने हैं कोई ऐसा हो पैमाना जो मापे आदमियत को यहाँ पत्थर बनाने के बहुत से कार-ख़ाने हैं भुलाना हम को तो 'सत्या' कभी आसाँ नहीं होगा हमारे साथ में गुज़री हुई सदियाँ ज़माने हैं