हमारे लब पे जब उस बेवफ़ा का नाम आता है बड़ी मुश्किल से क़ाबू में दिल-ए-नाकाम आता है हवास-ओ-होश की दुनिया लुटा देता हूँ साक़ी पर क़सम अल्लाह की मेरी तरफ़ जब जाम आता है जफ़ा शेवा है उन का है शिआ'र अपना वफ़ादारी उन्हें वो काम आता है हमें ये काम आता है नज़र आते हैं जब दो आदमी अह्द-ए-वफ़ा करते मिरी आँखों के आगे इश्क़ का अंजाम आता है सुराही दर-बग़ल साग़र-ब-कफ़ पीता हुआ पैहम न जाने कौन सी दुनिया से मय-आशाम आता है मैं डरता हूँ न हर्फ़ आए कहीं पर्दा-नशीनी पर लरज़ जाता हूँ जब लब पर किसी का नाम आता है जो जीता हूँ तो उन की शोख़ियाँ जीने नहीं देतीं जो मरता हूँ वफ़ाओं पर मिरी इल्ज़ाम आता है 'सलाम'-ए-सोख़्ता-क़िस्मत की महफ़िल है अजब महफ़िल सितारा सुब्ह का बन कर चराग़-ए-शाम आता है